शेर और खरगोश की कहानी | Sher Aur Chalak Khargosh ki Kahani

शेर और खरगोश की कहानी | Sher Aur Chalak Khargosh ki Kahani: बच्चे कहानी सुनना और पढ़ना बहोत अच्छा लगता है। नैतिक कहानियां, डरावनी नी कहानियां, बच्चों के लिए मज़ेदार कहानियाँ, सुपर हीरो की कहानियांरात को सोने से पहले सुननेवाली कहानियांछोटे बच्चो की कहानियां ओर भी कई तरह की कहानियां होती है। जो बच्चो को अच्छी लगती है।

पंचतन्त्र के कहानियों की रचना लगभग दो हजार साल पूर्व आचार्य विष्णु शर्मा द्वारा की गई थी | पंचतन्त्र की कहानियों को पांच तंत्रों अर्थात भागों में बांटा गया है इसीलिये कहानियों के इस संग्रह को पंचतन्त्र कहा जाता है | आज नीतिकथाओं में पंचतन्त्र की कहानियों को प्रथम स्थान प्राप्त है इसी कारण अभी तक विश्व की लगभग 50 भाषाओँ में इनका अनुवाद किया जा चुका है | पंडित विष्णु शर्मा ने पंचतन्त्र की रचना क्यूँ की इसके संबंध में नीचे दी गई कथा प्रचलित है।

शेर और खरगोश की कहानी | Sher Aur Chalak Khargosh ki Kahani

शेर और खरगोश की कहानी  Sher Aur Chalak Khargosh ki Kahani
शेर और खरगोश की कहानी Sher Aur Chalak Khargosh ki Kahani

एक विशाल जंगल में एक शक्तिशाली शेर रहता था।  वह शक्तिशाली होने के सांथ हे बहुत दुष्ट और घमंडी भी था | शेर का नाम भासुरक था | जंगल के जानवर उसे देख कर थर-थर काम्पते थे | वह जहाँ भी जाता वहां बहुत से जानवरों को मार डालता और उनमें से कुछ को खाता और कुछ को बिना खाये ही फेंक देता था | शेर से दुखी होकर जंगल के जानवरों ने एक सभा बुलाई।  इस सभा में जंगल के सारे जानवर सम्मिलित हुए।  सभा में अत्याचारी शेर से मुक्ति पाने के संबंध में चर्चा हुई | सभा में तय किया गया कि सभी जानवर शेर के पास जायेंगें और उससे विनती करेंगें की वह किसी भी जानवर को ना मारे, बदले में जंगल के जानवरों में से बारी-बारी से एक जानवर शेर का भोजन बनने के लिये भेज दिया जायेगा।

जंगल के सारे जानवर एकत्र होकर शेर के पास गए और अपना प्रस्ताव रखा।  शेर भी जानवरों की बात मान गया | परन्तु उसने जानवरों को धमकी दी कि जिस दिन कोई जानवर शेर के पास नहीं आयेगा उस दिन से वह और अधिक जानवरों का शिकार करने लगेगा।  उस दिन के बाद जंगल के जानवरों का डर खत्म हो गया अब वे निश्चिंत होकर जंगल में घूमते थे और शेर को भी बैठे-बैठे भोजन मिलता था।  बहुत दिनों तक नियमानुसार एक-एक जानवर शेर के पास जाता रहा।

एक दिन एक खरगोश की बारी आई।  खरगोश शेर के पास जा तो रहा था परन्तु डर के कारण उससे चलते नहीं बन रहा था।  वह जंगल में धीरे-धीरे जा रहा था उसे रास्ते में एक कुआं मिला वह कुछ देर के लिये कुयें के पास बैठ गया।  उसने जब कुएँ में झाँका तो कुएँ में उसे अपनी ही परछाई दिखलाई दी।  उस परछाई को देख कर खरगोश के मन मैं कई तरह के विचार आने लगे | वह कुछ सोचता विचार करता हुआ धीरे धीरे शेर की गुफा के पास पहुँच गया।  शेर तब तक भूख से व्याकुल हो चुका था और अब वह जंगल में जानवरों को मारने के लिये निकलने ही वाला था तभी खरगोश शेर के पास पहुँच कर उसके सामने प्रणाम करता है।

खरगोश को देख का शेर का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुँच गया।  वह दहाड़ते हुए खरगोश से बोला-” मैं भूख से व्याकुल हुआ जा रहा हूँ और जंगल के जानवरों ने तुझ जैसे पिद्दी को मेरा भोजन बनाकर भेजा है।  अब मै जंगल के सारे जानवरों को मार दूंगा। ”

शेर की बातें सुनकर खरगोश ने विनम्रता पूर्वक कहा -” महाराज आप क्रोध ना करें।  मेरी देरी का कारण ना तो मैं हूँ, नाही जंगल के दूसरे जानवर हैं।  अगर आप मुझे माफ़ करें तो मैं आपको पूरी बात बतलाना चाहता हूँ। ”

शेर ने कहा -” अरे खरगोश तुझे जो कहना है जल्दी बोल मैं बहुत भूखा हूँ। ”
खरगोश ने विन्रमता से सिर झुकाया और कहने लगा -” महाराज मै बहुत छोटा हूँ इसीलिये जंगल के जानवरों ने मेरे जैसे पांच खरगोश आपकी सेवा में भेजे थे | जब हम जंगल से आ रहे थे तब एक दूसरा शेर आया और हमारे यहाँ आने का कारण पूछने लगा | जब हमने आपके पास आने के बात कही तब उसने आपको बहुत भला बुरा और डरपोक कहा और खुद को जंगल का राजा बतलाने लगा।  उसने आपको युद्ध की चुनौती भी दी है | पांच में से चार खरगोश वह खा गया और मुझे जिन्दा छोड़ दिया और आपके पास भेज दिया ताकि मैं आपको उसके बारे में जानकारी दे सकूँ और उसके पास ले जा सकूँ।  महाराज यही कारण है कि मुझे यहाँ आने में देर हो गई। ”

खरगोश की बात सुनकर भासुरक शेर बोला-” खरगोश तुम मुझे जल्दी ही उस शेर के पास ले चलो | मैं जल्द से जल्द उस दुष्ट को सबक सिखलाना चाहता हूँ | उसने मुझे ललकारा है, उसकी इतनी हिम्मत की वह मेरे राज्य में आकर मुझे ही युद्ध की चुनौती दे |”
शेर की बात सुनकर खरगोश बोला -” महाराज ! युद्ध करना तो आप जैसे परमवीरों का काम है | परन्तु दुश्मन अपने दुर्ग मैं छुपा हुआ है और दुर्ग में छुपा शत्रु बहुत खतरनाक होता है। ”

शेर ने कहा -” तुम सही कह रहे हो परन्तु मुझे अपनी शक्ति पर पूरा भरोसा है | मैं उस दुष्ट को चुटकी में मसल दूंगा। ”
शेर की बात सुनकर खरगोश उसे कुएँ के पास ले गया और बोला -” महाराज ! यही माँद है जिसमें दूसरा शेर छुपा है और इसी जगह से वह आपको युद्ध के चुनोती दे रहा था। ”

खरगोश भासुरक शेर को कुएँ की मेड पर ले गया | शेर ने कुएँ में झांककर देखा तो उसे अपनी ही परछाई दिखलाई दी उसे लगा की यह वही दूसरा शेर है जो मुझे चुनौती दे रहा है।  भासुरक शेर ने जोर से दहाड़ मारी।  उसकी दहाड़ की गूंज कुएँ से उतनी ही तेजी से वापस शेर को सुनाई दी।  उस गूंज को अपने शत्रू की आवाज समझ कर भासुरक शेर ने गुस्से में उसी पल कुएँ में छलांग लगा दी और पानी में डूबकर अपने प्राण त्याग दिये।  खरगोश ने अपनी बुद्धि के बल पर शक्तिशाली शेर का खात्मा कर दिया।

खरगोश वहां से लौटकर जंगल गया और सभी जानवरों को शेर के खात्मे का समाचार सुनाया।  शेर की मृत्यु का समाचार सुनकर जंगल के सभी जानवरों में ख़ुशी की लहर दौड़ गई और सभी ने खरगोश की बुद्धिमानी की तारीफ की और अब सभी जंगल में शांतिपूर्वक रहने लगे।

Lion and rabbit story in English

Lion and rabbit story in English
Lion and rabbit story in English

Once there was a cruel lion. Lion lived in the forest. He was very fierce. He used to kill many animals everyday and eat them. All the animals were afraid of him. They went to him and requested him not to kill so many animals everyday. They promised to send him one animal everyday. The lion agreed to the proposal.

One day, it was the turn of a hare. He went to the lion’s den very late with a plan in his mind. The lion was angry. He asked him “Why are you so late?” The hare replied, “Sir, I met a lion on the way. He stopped me. I told him that I am going to the king. But, he said that he himself was the king.

Now, the lion got very angry. He asked the hare to show him the lion. The hare took him to a well. The lion peeped into the well. He saw his own reflection in the water. He assumed him as another lion. He jumped into the well to kill the other lion. But that was his own end. Thus, the wise hare got the mighty lion killed.

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