Class 2 Short Moral Stories In Hindi | कक्षा २ के लिए छोटे नैतिक कहानिया हिंदी में: बच्चे कहानी सुनना और पढ़ना बहोत अच्छा लगता है। नैतिक कहानियां, डरावनी नी कहानियां, बच्चों के लिए मज़ेदार कहानियाँ, सुपर हीरो की कहानियां, रात को सोने से पहले सुननेवाली कहानियां, छोटे बच्चो की कहानियां ओर भी कई तरह की कहानियां होती है। जो बच्चो को अच्छी लगती है।
नींद की कहानियाँ एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं बच्चों की परवरिश और उनकी मनोहारी दुनिया में संतुष्टि के लिए। ये कहानियाँ रात के समय बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती हैं और उनके सपनों में चमत्कारिक रूप से जीवित हो जाती हैं।
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Class 2 Short Moral Stories In Hindi | कक्षा २ के लिए छोटे नैतिक कहानिया हिंदी में
Class 2 Short Moral Stories in Hindi: आज हम कक्षा 2 की कुछ मोरल कहानियों के बारे में जानेंगे। ये कहानियाँ आपने बचपन में जरूर सुनी होगी। ये हिंदी नैतिक कहानियाँ बच्चों को अच्छी शिक्षा देगी और उनके जीवन के लिए बहुत ही उपयोगी होगी। आगे जेसे हमने नैतिक कहानियाँ की बात की थी| तो आए जानते है Hindi Stories For Class 5 के बारे में।
1. शेर और भालू | Moral Stories In Hindi
श्याम नाम के जंगल में सालों पहले एक शेर रहता था। वह शेर काफ़ी चालाक था। इसे हर एक जानवर से दोस्ती करके उसका फ़ायदा उठाने में खूब मज़ा आता था। शेर सबसे अपना काम करवाने के बाद दूसरों को ज़रूरत पड़ने पर पीठ दिखा देता था।
जंगल में सभी को पता चल चुका था कि शेर सबसे दोस्ती करके अपना मतलब निकालता है और फिर दूसरों की मदद नहीं करता। अब सभी लोग उस शेर से दूर रहने लगे।
जंगल में दोस्तों की तलाश में घूमते-घूमते बहुत समय बीत गया, लेकिन शेर को कोई नहीं मिला।
एक दिन वो जब अपनी गुफ़ा में जा रहा था, तो उसने देखा कि एक बूढ़ा भालू भी उसकी गुफ़ा के पास घर बनाकर रह रहा था। उसके मन में हुआ कि इस बार भालू से दोस्ती करके इसका फ़ायदा उठाने में बड़ा मज़ा आएगा।
रोज़ शेर यही सोचता था कि किसी तरह भालू से बात हो जाए। दो-तीन दिन बीत गए, लेकिन उसे भालू से बात करने का कोई बहाना नहीं मिला। एक दिन उसने देखा कि भालू तो बूढ़ा है। उसके मन में हुआ कि यह बूढ़ा भालू मेरे क्या काम आएगा। इससे दोस्ती करने का कोई फ़ायदा नहीं है।
एक दिन शेर ने भालू को चिड़िया से बात करते हुए सुना। चिड़िया भालू से पूछ रही थी, “आप इतने बूढ़े हो गए हो तो अपने लिए खाना कैसे जुटाते हो?”
भालू ने चिड़िया को बताया, “पहले तो मैं मछली पकड़कर खा लेता था, लेकिन अब मैं ऐसा नहीं कर पाता। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं भूखा रहता हूँ। मैं अब शहद खाता हूँ। उसका स्वाद बहुत अच्छा है। इसके लिए मुझे अंदर घने जंगल में जाना होता है और मधुमक्खियों से शहद लेकर आना पड़ता है।”
यह सारी बातें सुनने के बाद शेर के मन में हुआ कि मैंने भी कभी शहद नहीं चखा है। अब इस भालू से दोस्ती करके मैं शहद का स्वाद चख सकता हूँ।
इसी सोच के साथ शेर ने एक योजना बनाई। उस योजना के तहत शेर भालू के पास गया और कहने लगा, “आपने मुझे पहचाना? आप जब जवान थे, तो आपने मुझे एक दिन कुछ मछलियाँ तालाब से निकाल कर खिलाई थीं। आपने मेरी इस तरह बहुत बार मदद की है। मैं हर बार खो जाता था और आपसे ही टकराता था।”
भालू को कुछ याद नहीं आ रहा था। उसने सोचा कि इतने सालों पुरानी बात है, हो सकता है कि कभी इसकी मैंने मदद की हो। भालू सोच ही रहा था कि तब तक शेर ने कहा, “अच्छा, मैं चलता हूँ। कभी कोई ज़रूरत हो, तो मुझे याद करना।” इतना कहकर शेर अपनी गुफ़ा की ओर चला गया।
भालू भी अपने घर चला गया, लेकिन उसके दिमाग में शेर की बातें घूम रही थीं। उसने सोचा, चलो! कोई तो है, जिससे बातें कर सकता हूँ।
अगले दिन शेर ने भालू से बातचीत शुरू करी। इसी तरह शेर धीरे-धीरे भालू से दोस्ती करने लगा। एक दिन शेर ने भालू को अपने घर खाने पर बुलाया।
इधर, भालू खाने का निमंत्रण मिलने से बड़ा खुश था। उधर, शेर ने सोच लिया था कि किसी तरह से वो भालू को रात को खाना खाने नहीं देगा। उसके मन में था कि मैं अपना खाना किसी को क्यों खाने दूँ। मैं एक ही थाली में खाना लगाऊँगा और उसे जल्दी ख़त्म कर दूंगा।
रात के समय जब भालू आया, तो शेर ने ऐसा ही किया। वो एक थाली में खाना लेकर आया। दोनों साथ में खाने के लिए बैठे। भालू बूढ़ा था, तो वो आराम से खाना शुरू करने लगा। तभी शेर ने तेज़ी से खाना शुरू किया और कुछ ही समय में खाना ख़त्म कर दिया। भालू बहुत निराश हुआ। शेर ने कहा, “दोस्त, मैं ऐसे ही खाना खाता हूँ।”
दुखी मन से भालू वापस अपने घर आ गया। अगले दिन चिड़िया ने भालू से पूछा, “क्या हुआ, तुम इतने दुखी क्यों हो?”
भालू ने रात को शेर के घर में हुई सारी बातें बता दीं। चिड़िया ने हँसते हुए पूछा, “तुम्हें नहीं पता शेर कैसा है? वो हमेशा सबसे दोस्ती करता है और फिर उनका फ़ायदा उठाकर चला जाता है। वो कभी किसी की मदद नहीं करता। अब तुम्हें किसी तरकीब से उसे सबक सिखाना चाहिए।” इतना कहकर चिड़िया वहाँ से उड़ गई।
भालू ने भी ठान ली कि वो अब शेर को सबक ज़रूर सिखाएगा। इसी सोच के साथ भालू एक बार फिर शेर की गुफ़ा में गया। उसने बिल्कुल सामान्य तरीके से उससे बात की। उसने शेर को लगने ही नहीं दिया कि उसे रात की बात का बुरा लगा है।
दोनों बातें करने लगे। बातों-ही-बातों में शेर ने भालू से पूछा, “दोस्त तुम अपना रोज़ का खाना कहा से लाते हो?”
भालू ने शेर को शहद के बारे में बता दिया। शेर ने शहद का नाम सुनते ही कहा, “दोस्त, तुमने तो आजतक मुझे शहद चखाया ही नहीं।”
यह बात सुनते ही भालू के मन में हुआ कि अब शेर को सबक सिखाने का मौका मिल गया है। उसने कहा, “तुम्हें शहद खाना है? इतनी सी बात। तुम रात को मेरे घर खाने पर आ जाना। मैं तुम्हें शहद खिला दूँगा।”
शेर बड़ा खुश हुआ। वो रात होने का बेताबी से इंतज़ार करने लगा। रात होते ही शेर तेज़ी से भालू की गुफ़ा की तरफ बढ़ा।
शेर के आते ही भालू ने उसका स्वागत किया और बैठने के लिए कहा। उसके बाद भालू ने अपने घर का दरवाज़ा बंद कर दिया।
शेर ने पूछा, “तुम दरवाज़ा क्यों बंद कर रहे हो?”
भालू ने कहा, “अगर शहद की ख़ुशबू किसी और ने सूंघ ली, तो वो यहाँ आ जाएगा, इसलिए दरवाज़ा बंद करना ज़रूरी है।”
अब भालू ने मधुमक्खी का एक छत्ता लाकर शेर के सामने रख दिया और कहा, “इसी के अंदर शहद है।”
जैसे ही शेर ने उसके अंदर मुँह डाला, तो उसे मधुमक्खियों ने काटना शुरू कर दिया। उसके पूरे चेहरे पर सूजन हो गई। शेर जिस ओर भी भागता, मधुमक्खियाँ उसका उधर पीछा करतीं।
आखिर में शेर ने भालू से पूछा, “तुमने मुझे बताया क्यों नहीं कि शहद कैसे खाना है?”
भालू ने तमतमाते हुए जवाब दिया, “मैं शहद ऐसे ही खाता हूँ।”
शेर समझ गया कि भालू ने उससे बदला लिया है, इसलिए वो वहाँ से चुपचाप चला गया।
सीख – शेर और भालू की कहानी से यह सीख मिलती है कि अगर किसी से मदद लो, तो उसकी मदद करने के लिए तैयार भी रहो। हम दूसरों के साथ बुरा करेंगे, तो हमारे साथ भी बुरा ही होगा, क्योंकि कर्म किसी को नहीं छोड़ता।
2.सिंड्रेला की कहानी ( Short Moral Stories In Hindi )
बहुत पुरानी बात है, कहीं दूर देश में सिंड्रेला नाम की सुंदर लड़की रहती थी। सुंदर होने के साथ-साथ सिंड्रेला बहुत समझदार और दयालु भी थी। सिंड्रेला की मां बचपन में ही गुजर गई थी। मां के गुजरने के बाद सिंड्रेला के पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। अब वह अपने पिता, सौतेली मां और दो सौतेली बहनों के साथ रहा करती थी। सौतेली मां और बहनों को सिंड्रेला बिल्कुल पसंद नहीं थी। उसकी सुंदरता और समझदारी से वे तीनों हमेशा जलती थीं, क्योंकि उसकी दोनों सौतेली बहनों के पास न अच्छी शक्ल थी और न ही अक्ल।
एक दिन की बात है, सिंड्रेला के पिता को किसी काम के लिए बाहर जाना पड़ा। पीछे से सौतेली मां ने सिंड्रेला के साथ बुरा बर्ताव करना करना शुरू कर दिया। सबसे पहले तो उसने सिंड्रेला की खूबसूरत पोशाक उतरवा ली और उसे नौकरानियों वाले कपड़े पहनवा दिए। इसके बाद उन तीनों ने सिंड्रेला के साथ नौकरानी जैसा बर्ताव करना शुरू कर दिया।
वो उससे खाना बनवाते, घर की सफाई करवाते, कपड़े-बर्तन धुलवाते और घर के बाकी सारे काम करवाते। यहां तक कि उन तीनों ने सिंड्रेला का कमरा भी ले लिया और उसे स्टोर रूम में रहने के लिए कह दिया। बेचारी सिंड्रेला के पास उनकी बात मानने के अलावा कोई चारा नहीं था।
आसपास के पेड़ों पर रहने वाले पंछी और स्टोर रूम के चूहों के अलावा, सिंड्रेला का और कोई दोस्त नहीं था। वह दिनभर काम करती और रात में अपने दोस्तों से बात करते-करते सो जाया करती थी।
जिस देश में सिंड्रेला रहती थी, एक दिन वहां के राजा के सिपाहियों ने बाजार में घोषणा की कि राजकुमार की शादी के लिए राजा ने महल में एक समारोह का आयोजन करवाया है। इस समारोह के लिए उन्होंने नगर की विवाह योग्य सभी लड़कियों को आमंत्रित किया है। सिंड्रेला की बहनों ने जैसे ही यह घोषणा सुनी, वे दोनों दौड़ती हुई अपनी मां के पास पहुंचीं और उन्हें सारी बात बताई। उनकी मां के कहा कि इस समारोह में सबसे सुंदर तुम दोनों ही लगोगी। राजकुमार का विवाह तुम दोनों में से किसी एक के अलावा किसी और के साथ नहीं होगा।
इस बात को सिंड्रेला ने भी सुना और उसके मन में भी समारोह में जाने की इच्छा हुई, लेकिन इस बारे में अपनी सौतेली मां से बात करने में उसे बहुत डर लग रहा था।
उसकी सौतेली मां और बहने समारोह में जाने की तैयारी करने लगीं। उन्होंने नए कपड़े सिलवा लिए और नए जूते भी खरीद लिए। वो दोनों हर रोज इस बात का अभ्यास करती थीं कि जब वो राजकुमार से मिलेंगी, तो क्या बात करेंगी और कैसे बात करेंगी।
आखिरकार समारोह का दिन आ ही गया। दोनों बहने समारोह में जाने के लिए बहुत उत्साहित थीं। उन दोनों ने सुबह से ही समारोह में जाने की तैयारी शुरू कर दी थी। सिंड्रेला ने भी अपनी दोनों बहनों की मदद की। अपनी बहनों को पूरी तरह तैयार करने के बाद, सिंड्रेला ने बहुत हिम्मत जुटाई और अपनी सौतेली मां से पूछा कि मां, अब मैं भी विवाह योग्य हो गई हूं, क्या मैं भी समारोह में जा सकती हूं? यह सुन कर वे तीनों जोर-जोर से हंसने लगी और कहा, “राजकुमार को अपने लिए पत्नी चाहिए, नौकरानी नहीं।” यह कह कर वो तीनों वहां से चली गईं।
उनके जाने के बाद सिंड्रेला बहुत उदास हो गई और रोने लगी। तभी उसके सामने एक तेज रोशनी आई, जिसमें से एक परी निकली। परी ने सिंड्रेला को अपने पास बुलाया और कहा, “मेरी प्यारी सिंड्रेला, मैं जानती हूं कि तुम क्यों दुखी हो, लेकिन अब तुम्हारे मुस्कुराने का समय आ गया है। तुम भी उस समारोह का हिस्सा बन पाओगी। इसके लिए मुझे सिर्फ एक कद्दू और पांच चूहों की जरूरत है।”
सिंड्रेला कुछ समझ नहीं पाई, लेकिन फिर भी उसने बिल्कुल वैसा ही किया जैसा परी ने कहा। वह दौड़ती हुई किचन में गई और एक बड़ा-सा कद्दू उठा लाई। उसके बाद वह स्टोर रूम में गई और अपने मित्र चूहों को ले आई। सब कुछ मिल जाने के बाद परी ने अपनी जादुई छड़ी को घुमाया और कद्दू को एक बग्गी में बदल दिया। फिर वह चूहों की तरफ मुड़ी। उसने चार चूहों को खूबसूरत सफेद घोड़ों और एक चूहे को बग्गी चलाने वाला बना दिया।
यह सब देखकर सिंड्रेला को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। इससे पहले कि वह कुछ पूछ पाती, परी ने अपनी छड़ी घुमाई और सिंड्रेला को एक खूबसूरत राजकुमारी की तरह सजा दिया। उसके शरीर पर एक बहुत सुंदर गाउन था और पैरों में चमचमाते जूते। वह समारोह में जाने के लिए पूरी तरह तैयार थी और इस खुशी से वह फूली नहीं समा रही थी।
परी ने सिंड्रेला से कहा, “अब तुम समारोह में जाने के लिए पूरी तरह तैयार हो, लेकिन ध्यान रखना रात को 12 बजे से पहले तुम्हें घर पहुंचना होगा, क्योंकि 12 बजे के बाद जादू का असर खत्म हो जाएगा और तुम अपने असली रूप में आ जाओगी।” सिंड्रेला ने परी को धन्यवाद कहा और बग्गी में बैठ कर महल की ओर निकल पड़ी।
जैसे ही सिंड्रेला महल पहुंची सबकी नजर उस पर आ टिकी। उसकी सौतेली मां और बहने भी वहीं थीं, लेकिन वह इतनी खूबसूरत लग रही थी कि वे तीनों भी उसे पहचान नहीं पाए। तभी सिंड्रेला ने देखा कि राजकुमार सीढ़ियों से उतरते हुए नीचे आ रहे हैं। सब लोग उनकी तरफ देखने लगे।
जैसे ही राजकुमार की नजर सिंड्रेला पर पड़ी, वे उसे देखते ही रह गए। समारोह में मौजूद सभी राजकुमारियों के पास न जाकर, राजकुमार सीधे सिंड्रेला के पास आए और अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाते हुए कहा कि राजकुमारी, क्या आप मेरे साथ डांस करना पसंद करेंगी? सिंड्रेला ने शर्माते हुए अपना हाथ राजकुमार के हाथ में दे दिया और दोनों डांस करने लगे।
सिंड्रेला राजकुमार के साथ डांस करते-करते इतना खो गई कि उसे समय का ध्यान ही नहीं रहा। तभी अचानक उसकी नजर दीवार पर लगी घड़ी पर गई। 12 बजने वाले थे और सिंड्रेला को परी की बात याद आ गई। परी की चेतावनी याद आते ही, वह घबरा गई और राजकुमार को वहीं छोड़ कर भाग गई। सिंड्रेला को इस तरह अचानक भागता देख, राजकुमार उसके पीछे-पीछे दौड़े। हड़बड़ी में दौड़ने की वजह से सिंड्रेला का एक जूता निकल गया और महल के बाग में ही छूट गया। वह फटाफट अपनी बग्गी में बैठी और घर को लौट गई। जब उसे ढूंढते हुए राजकुमार बाहर आए, तो उन्हें बाग में सिंड्रेला का जूता मिला। यह देखकर राजकुमार दुखी हो गए और सोचा कि वह सिंड्रेला को ढूंढकर ही रहेंगे।
अगले दिन राजकुमार ने अपने सिपाहियों को बुलाया और उन्हें जूता थमाते हुए कहा कि शहर के हर घर में जाओ और समारोह में आई हर लड़की को यह जूता पहना कर देखो। जिसके भी पैर में यह जूता आ जाए, उसे यहां ले आओ। सिपाहियों ने बिल्कुल ऐसा ही किया।
वे शहर के हर घर में गए और समारोह में आई हर लड़की को जूता पहना कर देखा। किसी को जूता छोटा पड़ रहा था और किसी को बड़ा। सारा शहर घूमने के बाद, आखिर में सिपाही सिंड्रेला के घर पहुंचे। जैसे ही सिंड्रेला ने सिपाहियों को देखा, तो वह समझ गई कि ये राजकुमार के कहने पर आए हैं और वह खुशी से दरवाजे की तरफ दौड़ी।
उसी समय उसकी सौतेली मां ने उसका रास्ता रोक लिया। सौतेली मां ने सिंड्रेला से पूछा, तुम कहां चली?
सिपाही उस लड़की के लिए आए हैं, जो कल रात समारोह में थी। तुम तो कल आई ही नहीं थी, तो तुम नीचे जाकर क्या करोगी? ऐसा कह कर उन्होंने सिंड्रेला को स्टोर रूम में बंद कर दिया और चाबी अपनी जेब में रख ली।
जब सिपाही जूता लेकर घर में आए तो उसकी दोनों बहनों ने उस जूते को पहनने की कोशिश की, लेकिन वो दोनों नाकाम रहीं। वहीं, निराश होकर सिंड्रेला रोने लगी। उसे रोता देख, उसके चूहे मित्र को एक उपाय सूझा। दरवाजे के नीचे से निकल कर वह दौड़ते हुए नीचे गया और चुपके से सौतेली मां की जेब से चाबी निकाल लाया और सिंड्रेला को दे दी। चाबी मिलते ही सिंड्रेला ने दरवाजा खोला और दौड़ती हुई नीचे गई।
सिपाही महल की ओर लौट ही रहे थे कि तभी उन्हें सिंड्रेला की आवाज आई, “मुझे भी जूता पहन कर देखना है।” यह सुनकर सौतेली मां और बहने हंसने लगीं, लेकिन सिपाही ने सिंड्रेला को भी जूता पहनने का मौका दिया। जैसे ही उसने पैर जूते में डाला, वह आसानी से उसके पैर में आ गया। यह देख कर सभी चौंक गए और सिपाही ने सिंड्रेला से पूछा, “क्या यह जूता आपका है?” इस पर सिंड्रेला ने हां में अपना सिर हिलाया।
सिपाही सिंड्रेला को बग्गी में बिठा कर म हल ले गए, जहां उसे देखकर राजकुमार बहुत खुश हुए। उन्होंने सिंड्रेला के सामने शादी का प्रस्ताव रखा, जिसे उसने प्रसन्नता से स्वीकार कर लिया। राजकुमार और सिंड्रेला की शादी हो गई और वो हमेशा खुशी-खुशी महल में रहने लगे।
सीख – हमें बुरे वक्त में भी उम्मीद नहीं छोड़नी चाहिए। अच्छी सोच रखने वालों के लिए कोई-न-कोई रास्ता निकल ही आता है।
3. टोपीवाला और बंदर
एक बार की बात है एक टोपी वाला था. वह एक टोकरी में टोपियाँ रखकर बेचने जा रहा था. वह चलते चलते थक गया उसने अपनी टोकरी सिर से उतारकर नीचे रख दी और एक पेड़ के नीचे सो गया।
उसी पेड़ पर बहुत से बंदर बैठे थे. बंदरों ने नीचे आकर टोकरी में से एक-एक टोपी पहन ली. सभी बंदर टोपियाँ पहनकर पेड़ पर चढ़ गये. टीपी वाले की आँख खुली तो वह बंदरों से टीपियाँ वापस लेने का उपाय सोचने लगा।
टीपी वाले को एक उपाय सूझा उसने अपने सर पर पहनी टोपी नीचे फेंक दी. नकलची बंदरों ने भी वही किया. टोपीवाले को देखकर सभी बंदरों ने भी अपनी-अपनी टोपियाँ नीचे फेंक दी. टीपी वाले ने अपनी टोपियाँ टोकरी में रखी और खुशी-खुशी वहाँ से चला गया।
4. दयालुता की खुशी | Class 2 Short Moral Stories In Hindi
एक बार की बात है. एक छोटे से गांव में राजू नाम का एक लड़का रहता था. राजू एक दयालु लड़का था। जो हमेशा जरूरतमंदों की मदद करता था. एक दिन, जब वह जंगल से गुजर रहा था। तो उसने जमीन पर एक छोटी सी चिड़िया पड़ी हुई देखी. चिड़िया के पंख टूट गए थे और वह उड़ नहीं सकती थी।
राजू को चिड़िया पर तरस आया और उसने उसकी देखभाल करने का फैसला किया. राजू चिड़िया को घर ले गया और उसने उसके लिए एक सुन्दर घोंसला बनाया. उसने उस चिड़िया की देखभाल कर उसे स्वस्थ कर दिया और उड़ने लायक बना दिया. जब चिड़िया उड़ने लायक हो गई तो राजू ने सोचा कि इसे अब आजाद कर देना चाहिए।
इसके बाद राजू ने उसे उसी जंगल में ले जाकर आजाद कर दिया और चिड़िया उड़ भी गई. लेकिन कुछ मिनट बाद वापस आकर वह राजू के कंधे पर बैठ गई. चिड़िया को देखकर राजू हैरान और खुश हुआ।
चिड़िया ने राजू की ओर देखा और कहा – “मेरी देखभाल करने के लिए धन्यवाद ! तुमने मुझ पर दया और करुणा दिखाई तथा आवश्यकता पड़ने पर मेरी मदद की, मैं इसके लिए सदा तुम्हारी आभारी रहूंगी” छोटी सी चिड़िया की ये बात सुनकर राजू को बहुत अच्छा महसूस हुआ।
सीख: दया और करुणा मूल्यवान गुण हैं जो किसी के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता हैं. जब हम दूसरों पर दया करते हैं तो हम न केवल उनकी मदद करते हैं बल्कि खुद को भी खुश करते हैं. इसलिए हमें भी हमेशा राजू की तरह दूसरों के प्रति दयालु होना चाहिए।
5. लालची दुकानदार की कहानी | Hindi Story For Kids
अकबर के शासन काल में जब बीरबल नौ-रत्नों में एक था तब बीरबल को नगर को लोगों ने आकर एक लालची बर्तनों के दुकानदार की शिकयत की ओर उसे सबक सिखाने के लिए कहा।
तब बीरबल उसे सबक सिखाने गए. उन्होंने वहाँ से तीन बड़े-बड़े पतीले खरीदे. कुछ समय बाद वे एक छोटी सी पतीली लेकर दुकानदार के पास गए और बोले – भाई साहब आपके बड़े पतीले ने बच्चा दिया है कृपया आप इसे रख लें।
दुकानदार बहुत खुश हुआ और पतीली ले ली. कुछ दिनों के बाद बीरबल एक बड़ा पतीला लेकर उस लालची दुकानदार के पास पहुँचे और बोले – मुझे ये पतीली पंसद नहीं आई. आप मुझे मेरे रूपये वापस कर दीजिए।
फिर दुकानदार बोला – लेकिन ये तो एक ही पतीला है और दो पतीले कहाँ है. बीरबल ने कहा – असल में उन दो पतीलों की मौत हो गई है. दुकानदार ये सुनकर बोलता है – तुम मुझे बेवकूफ मत बनाओ, क्या कभी पतीलों की भी मृत्यु हो सकती है।
बीरबल ने कहा – जब पतीलों के बच्चे हो सकते है तो उनकी मृत्यु क्यों नहीं हो सकती है. दुकानदार को अपनी करनी पर बहुत पछतावा हुआ और उसे बीरबल को पैसे वापस देने पड़ते हैं।
सीख: इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें लालच नहीं करना चाहिए