Hindi story for kids | बच्चों के लिए हिंदी कहानी: बच्चे कहानी सुनना और पढ़ना बहोत अच्छा लगता है। नैतिक कहानियां, डरावनी नी कहानियां, बच्चों के लिए मज़ेदार कहानियाँ, सुपर हीरो की कहानियां, रात को सोने से पहले सुननेवाली कहानियां, छोटे बच्चो की कहानियां ओर भी कई तरह की कहानियां होती है। जो बच्चो को अच्छी लगती है।
नींद की कहानियाँ एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं बच्चों की परवरिश और उनकी मनोहारी दुनिया में संतुष्टि के लिए। ये कहानियाँ रात के समय बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती हैं और उनके सपनों में चमत्कारिक रूप से जीवित हो जाती हैं।
Hindi story for kids | बच्चों के लिए हिंदी कहानी
दोस्तों, आज हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं। छोटी-छोटी कहानियां जो बच्चों को बहुत पसंद आती हैं. आप इन कहानियों को अपने नन्हे-मुन्नों को सोते वक़्त सुना सकते हैं और इनसे मिलने वाली सीख के बारे में उनसे प्रश्न कर सकते हैं. तो आइये देखते हैं।
1. बीरबल और गधे की कहानी | Birbal ki Kahani for kids in hindi
बादशाह का मन बहलाव करने के इरादे से बीरबल ने गधे की तारीफ के पुल बाँधते हुए कहा,जहाँपनाह, इसके चेहरे से ऐसी बुद्धिमानी झलक रही है। कि शायद सिखाने पर ये पढ़ना-लिखना भी सीख जाए।
बादशाह ने बात पकड़ ली और सेवक को आदेश दिया कि वह मधे की रस्सी बीरबल के हाथ में थमा दे।
तत्पश्चात उन्होंने कहा, “बीरबल! ले जाओ इसे महीने भर में पढ़ा-लिखाकर वापस लाना। “बीरबल को यह समझने में देर नहीं लगी कि अगर वह इस काम में विफल हो गया तो नतीजा क्या होगा। ठीक एक महीने बाद उसी गधे की रस्सी थामे बीरबल दरबार में हाजिर हुए।
बादशाह ने पूछा, “क्या गधा पढ़-लिख गया है? “हाँ, जहाँपनाह ।” कहते हुए एक मोटी-सी पोथी गधे के सामने रख दी। गधा जुबान से पोथी पन्ने पलटते चला गया। और तीसवें पन्ने पर पहुँचकर जोर-जोर से रेंकने लगा।
“देखिए जहाँपनाह! अपनी भाषा में किताब पढ़कर सुना रहा है। “बादशाह और उनके दरबारी चकित रह गए। बादशाह ने पूछा, “तुमने यह चमत्कार कैसे किया? “उन्होंने ने बड़ी शान के साथ समझाया, “जहाँपनाह! पहले रोज मैंने मुट्ठी भर घास पोथी की जिल्द और पहले पन्ने के नीचे रख दी। दूसरे दिन मैंने घास दूसरे पन्ने पर रख दी और पोथी बन्द कर दी।
गधे ने उसे खोलकर घास खा ली। फिर रोजाना इसी तरह से आगे के पन्ने पलटने लगा। जहाँ घास नहीं “मिलती, वहीं गधा गुस्से से रेंकने लगता।” बादशाह बीरबल की चतुराई पर मुस्कराए बगैर नहीं रह सके। सारे दरबारी भी उनकी तारीफ करने लगे।
2. नन्हीं चिड़िया की कहानी | Story In Hindi For Kids
बहुत समय पहले की बात है। एक बहुत बड़ा घना जंगल हुआ करता था। एक बार की बात है जंगल में बहुत ही बड़ी भीषण आग लग गई। सभी जानवर आग देखकर डर गए और जान – बचाने हेतु इधर उधर भागने लगे।
आग लगने के कारण जंगल में बहुत ही ज्यादा भगदड़ मची हुई थी। हर कोई अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भाग रहा था। इस जंगल में एक नन्हीं सी चिड़ियाँ भी रहती थी। चिड़ियाँ ने देखा सभी जानवर बहुत भयभीत हैं। इस आग लगे हुए जंगल में मुझे जानवरों की मदद करनी चाहिए।
यह सोचकर नन्हीं सी चिड़िया एक नदी के पास चली गई। नदी में जाने के बाद चिड़ियाँ अपनी छोटी सी चोंच नदी की जल भर कर आग बुझाने का प्रयास करने लगी। चिड़ियाँ को देखकर एक उल्लू यह सोच रहा था की ये चिड़िया कितनी मुर्ख है। इतनी भीषण आग इसके द्वारा लाये पानी कहाँ बुझेगी।
यह देखकर उल्लू चिड़िया के पास गया की तुम बेकार ही मेहनत कर रही हो तुम्हारे लाये पानी से यह आग कहाँ बुझेगी। इस पर चिड़ियाँ ने बड़ी ही विनम्रता से जवाब दिया की मुझे बस अपना प्रयास करते रहना है चाहे आग कितनी भी भयंकर हो।
यह सुनकर उल्लू बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुआ और चिड़ियाँ के साथ आग बुझाने में लग गया।
सीख: कहानी हमें यह सिखाती है की मुसीबत कितनी भी बड़ी हो हमें अपना प्रयास करना नहीं छोड़ना चाहिए।
3. एक मेहनती चींटी की हिंदी में कहानी | The Story of a Hardworking Ant In Hindi
एक मेहनती छोटी सी चींटी थी, जो बहुत मेहनती थी। वह हमेशा खाने के लिए कुछ न कुछ ढूंढती रहती थी। उसे नहीं था कि उसका कोई घर हो, जिसमें वह रह सकती थी। उसे हमेशा खुद का घर बनाने का मन था। वह छोटी-छोटी टहनियों को इकट्ठा करती थी और उन्हें एक छोटा सा गुच्छा बनाती थी।
एक दिन, बहुत तेज बारिश हुई और चींटी का घर उसकी मेहनत से बना हुआ गुच्छा नहीं टिक पाया। वह बहुत दुखी हो गई। वह सोचती रही कि क्या करें, जब दूसरी चींटी उसे देखा और पूछा, “तुम क्यों रो रही हो?”
मेहनती चींटी ने कहा, “मेरा घर तबाह हो गया है। मैं अपना घर खो चुकी हूं और अब वह फिर कभी नहीं बनेगा।”
दूसरी चींटी ने चींटी को समझाया, “तुम जितनी मेहनत करोगी, उतने ही बड़ा और सुंदर घर बनाओगी। तुम्हें होने वाले मुश्किल से घबराने की जगह, उसे हल करने के तरीके खोजने पर ध्यान केंद्रित करो।”
चींटी ने दूसरी चींटी की बात मानी और उसके अनुसार काम करना शुरू कर दिया |
मेहनती चींटी ने दूसरी चींटी की सलाह मानी और निरंतर मेहनत करते रही। वह टहनियों को इकट्ठा करती रही और एक बड़ा सा गुच्छा बनाने का सोचती रहती थी।
थोड़ी देर में, उसे एक बड़ी टहनी मिल गई, जो उसके घर का निर्माण संभव बना देती थी। चींटी ने बहुत मेहनत की और अंत में उसने एक बहुत सुंदर घर बनाया। उसे खुशी हुई कि उसने सफलता हासिल की है।
सीख: कहानी का सीधा संदेश है कि कठिन परिश्रम और दृढ़ता का फल मीठा होता है। चींटी की पहली कोशिश घर बनाने की तबाह हो गई थी, लेकिन वह हार नहीं मानी और मेहनत करना जारी रखी। वह ज्ञानी पुराने जीव की सलाह को याद रखते हुए अपने प्रयासों में निरंतर बनी रही, अंततः सफलता हासिल की। इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी परिस्थिति में हार न मानें और अपने लक्ष्य की ओर मेहनत करते रहें।
4. ब्राम्हण और केकड़े की कहानी | Hindi Story For Kids
किसी समय की बात है एक गाँव में एक ब्राम्हण रहता था | उसकी माँ बहुत बूढी हो गई थी | बूढी माँ अपने पुत्र को बहुत प्यार करती थी और ब्राम्हण पुत्र भी अपनी माँ की हर बात मानता था | एक दिन ब्राम्हण को पूजा-पाठ कराने पास के ही दूसरे गाँव जाना था | ब्राम्हण ने यह बात अपनी माँ को बतलाई | बूढी माँ बोली– “ बेटा ! बाहर जा रहे हो अकेले मत जाना | किसी को अपने सांथ ले जाना |”
ब्राम्हण अपनी माँ से बोला – “माँ ! मै हमेशा ही उस गाँव में जाता रहता हूँ और रास्ते में कोई परेशानी नहीं होती | तुम व्यर्थ ही परेशान हो रही हो|घबराओ नहीं मैं शाम तक लौट कर आ जाऊंगा |“
ब्राम्हण पुत्र जाना तो अकेला चाहता था परन्तु वह अपनी माँ की बात की अवहेलना भी नहीं करना चाहता था | वह घर से निकल गया और जैसे ही गाँव से लगी नदी के पास पहुंचा एक केकड़ा उसके पैर के नीचे दबते-दबते बच गया | ब्राम्हण को लगा अगर यह केकड़ा रास्ते में यूँ ही घूमता रहा तो किसी और के पैर के नीचे आ जायेगा | ब्राम्हण को अपनी माँ की बात याद आई कि अकेले मत जाना | ब्राम्हण ने सोचा इस केकड़े को अपने सांथ लिए चलता हूँ | उसने अपनी पोटरी से एक खाली डिबिया निकाली और उस केकड़े को डिबिया में रख लिया | इस प्रकार ब्राम्हण ने अपनी माँ की बात भी रख ली अब वो एक से दो हो गए | ब्राम्हण अपने रास्ते चल दिया |
गर्मी के दिन थे और धूप बहुत तेज थी | चलते चलते ब्राम्हण थक गया तो आराम करने के लिए एक पुराने बड़े पेड़ के नीचे लेट गया | उसे कब नींद लग गई पता ही नहीं चला | उसी पेड़ के कोटर में एक काला सांप रहता था | ब्राम्हण की पोटरी में पूजा-पाठ की सामग्री थी जिससे सुगन्धित पूजन सामग्री की खुशबू आ रही थी | काला सर्प अपने कोटर से निकल कर पोटरी में घुस गया और उसमें रखी सामग्री में खाने की सामग्री ढूँढने लगा जिससे पोटरी में रखा सामान गिर गया और केकड़े की डिबिया भी खुल गई | सांप जैसे ही केकड़े को खाने के लिए आगे बढ़ा केकड़े ने अपने नुकीले डंक सांप की गर्दन में फंसा कर गड़ा दिये | केकड़े के द्वारा अचानक किये हमले से सांप संभल नहीं पाया और वहीँ मर गया |
कुछ देर बाद जब ब्राम्हण की नींद खुली तो उसने अपने आस-पास सामान बिखरा पाया और पास में ही उसे मृत सांप दिखलाई दिया जिसकी गर्दन ने डंक के निशान थे और पास में ही केकड़ा घूम रहा था |
ब्राम्हण समझ गया की इस सांप को केकड़े ने मारा है और केकड़े के कारण आज उसकी जान बच गई | तभी उसे अपनी माँ की बता याद आई कि कहीं अकेले मत जाना | ब्राम्हण ने अपनी जान बचाने के लिए केकड़े का धन्यवाद दिया और वापस जाते समय नदी के पास छोड़ दिया |
शिक्षा – ब्राम्हण और केकड़े की कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमेशा अपने माता-पिता की बात माननी चाहिए |
5. Camel And Jackal Story In Hindi | ऊंट और गीदड़ की कहानी
किसी जमाने में एक नदी के पास एक ऊंट और गीदड़ रहा करता था। वैसे तो वहां बहुत सारे जानवर रहा करते थे लेकिन इन दोनों में काफी ज्यादा आन बान होते रहती थी। दोनों एक दूसरे को खूब भला बुरा कहता था और दोनों एक दूसरे को काफी जगह बुराइयां किया करता था।
कभी उठ गीदड़ को सबक सिखाने के लिए तरह-तरह के कारनामे तथा तरह तरह की बातचीत किया करता था। कभी गीदड़ मोड़ को सबक सिखाने के लिए तरह-तरह के दिमाग की सोच रखने का काम किया करता था।
एक बार गीदड़ ने ऊंट को सबक सिखाने के लिए ऊंट के पास जाता है और कहता है कि ऊंट भाई ऊंट भाई नदी के उस पार बहुत सारे तारबुज लगे हुए हैं। अगर हम दोनों वहां पहुंच जाएंगे तो बहुत सारे तारबुज खाएंगे और रास्ते में आते वक्त हमें तारबुज लेकर आएंगे और यहां आकर खाएंगे।
ऊंट गीदड़ की बातों में आ जाता है और फिर कहता है कि तुम सही कह रहे हो चलो हम सभी लोग मतलब कि हम दोनों नदी के उस पार जाकर अच्छी-अच्छी और ताजी तरबूज लाकर खाएंगे।
अगली सुबह दोनों ऐसा ही करते हैं वह तरबूज लाने के लिए नदी में कूद पड़ता है और तैरकर नदी के उस पार जाने लगता है। ऊंट को नदी में कूदने से पहले गीदड़ उनसे कहता है कि मुझे तो पानी में तैरना नहीं आता है ऊंट भाई आप ही कुछ कर सकते हैं।
तभी ऊंट कहता है कि मेरे भाई तुम व्यर्थ में चिंता मत करो मैं तुम्हें अपनी पीठ पर बैठाकर नदी के उस पार लेकर जाऊंगा। उसके बाद हम दोनों मजे से अच्छी-अच्छी और मजेदार मजेदार तरबूज खाएंगे।
ऊंट गीदड़ को की पीठ पर बैठाकर नदी के उस पार लेकर जाता है। फिर दोनों मजे से तरबूज खाने लगते हैं। तरबूज खाने के बाद गीता बहुत जोरों से चिल्लाने लगता है।
गीदड़ की चिल्लाने की आवाज सुनकर तरबूज की देखरेख कर रहा किसान थोड़े-थोड़े आता है। और उसके बाद ऊंट की खूब पिटाई करता है। यह सभी देखकर गीदड़ किसी पेड़ के पीछे छिप जाता है और पीछे छुप कर ही ऊंट की पिटाई का मजा लेता है।
जब किसान ऊंट को पीट कर चला जाता है तभी छुपा हुआ कि ताला वहां रहता है और ऊंट के पास जाकर रहम दिल्ली दिखाता है। उसके बाद ऊंट कहता है कि तुमने जब तरबूज खा लिया तो इतना ज्यादा चिल्लाने की क्या जरूरत थी।
तुम्हारे चलने की आवाज सुनकर ही वह किसान मेरे पास आ गया और मोदी पिटाई करने लगा है। इतना कहने के बाद गीदड़ कहता है कि जब मैं तरबूज खा रहा था तू मेरी पेट भर गई थी यार जब मेरे पेट भर जाती है तो मैं इसी तरह से चिल्लाता हूं।
उसके बाद वह कहता है कि चलो आप हम लोग अपने घर की तरफ नदी के उस पार चलना चाहिए। फिर उसके बाद ऊंट अपनी पीठ पर गीदड़ को बैठाकर नदी में तैरते हुए आने लगता है। जब नदी के बीच में आता है तो वह नदी में डुबकी लगाने लगता है। यह सभी चीजें देखकर गीदड़ कहता है कि क्या बात है पानी में इतनी ज्यादा मस्ती क्यों कर रहे हैं।
उसके बाद ऊंट कहता है कि जब मेरा पेट भर जाता है और मैं जब पानी पर जाता हूं तो मुझे डुबकी मारने की आदत हो जाती है। यह बात सुनते ही गीदड़ को सभी बातें समझ में आ गई थी कि वह उसका किए का बदला ले रहा है।
बीच नदी में ऊंट पानी में डुबकी लगा रहा था जिस कारण से गीदड़ नीचे गिर गया था। जैसे तैसे करके जीवन पानी से बाहर निकल आया था और बाहर आकर वोट से क्षमा मांगा हो रहा के आगे से मैं बिल्कुल भी ऐसा कार्य नहीं करूंगा। तभी उठ ने कहा है कि तुम किसी के साथ चल कर सकते हो याद रखना कोई भी तुम्हारे साथ चल कर सकता है इसीलिए जितना तुम सा सकते हो किसी के साथ उतना ही मजाक करना।
ऊंट की क्या बात है दोनों को पूरी तरह से समझ आ गया था। और फिर अगले दिन से वह दोनों एक साथ अच्छे मित्र के साथ साथ एक अच्छा परिवार भी बन चुका था। हम वह हमेशा एक दूसरे के साथ रहा करता था और एक दूसरे के दुख तकलीफ में मदद किया करता था।
ऊंट और गीदड़ की कहानी का निष्कर्ष
आज की हिंदी कहानियाँ में हम लोग Camel And Jackal Story In Hindi के बारे में जान रहे थे मतलब कि आज हम लोग ऊंट और गीदड़ की मित्रता की सच्ची कहानी के बारे में पढ़ रहे थे।
यह प्रकार का मोरल नैतिक और शिक्षाप्रद कहानियाँ हैं जिसे पढ़कर हमें बहुत सारी ज्ञान मिलता है। हम इस प्रकार की कहानियाँ मतलब के ज्ञानवर्धक और ज्ञान देने वाली कहानियाँ को हमेशा पढ़ना चाहिए।
हमें अपने बच्चों के लिए भी इस तरह से ज्ञानवर्धक कहानियों, Camel And Jackal Story In Hindi को इंटरनेट पर पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। ताकि किसी न किसी कहानी से कुछ बच्चे को सीखने को मिले और सीख सकता है।
आज के इस लेख में हम लोग Camel And Jackal Story In Hindi ऊंट और गीदड़ की कहानी के साथ-साथ Camel and Jackal Story in English, सियार और ऊंट की कहानी, ऊंट और लोमड़ी की कहानी, हिंदी स्माल स्टोरी इत्यादि कहानियाँ भी शामिल है जिसे पढ़कर आप लोगों को काफी ज्यादा मजा आने वाला है।
FAQ: Hindi story for kids
किसान की कहानी में मुख्य किरदार कौन कौन थे?
इस कहानी में मुख्य किरदार उनके पिता से उनके नौकर तथा उनके तीन बेटे सोनू मोनू और गोल होते हैं।
किसान के बेटे हमेशा कौन सा काम किया करते थे?
किसान के बेटे हमेशा अपने दोस्तों के साथ घूमने फिरने के लिए टूर और ट्रेवल्स आ जाया करते थे।
सबसे पहले उनका कौन सा बेटा उनके साथ आया था?
सबसे पहले उनका छोटा बेटा गोलू उनके साथ आया था।
अपने दोनों बेटे को समझाने के लिए किसान ने किस तरह का खेल रचा था?
किसान ने अपने दोनों बेटे से कहा कि अगर तुम लोग मेरे साथ काम नहीं करोगे तो मैं अपनी जमीन की है उसे नहीं सिर्फ गोलू और नौकर मोहन को सारे दोनों हिस्सा दे दूंगा।