Ek Garib Kisan Ki Kahani | एक गरीब किसान की कहानी: बच्चे कहानी सुनना और पढ़ना बहोत अच्छा लगता है। नैतिक कहानियां, डरावनी नी कहानियां, बच्चों के लिए मज़ेदार कहानियाँ, सुपर हीरो की कहानियां, रात को सोने से पहले सुननेवाली कहानियां, छोटे बच्चो की कहानियां ओर भी कई तरह की कहानियां होती है। जो बच्चो को अच्छी लगती है।
नींद की कहानियाँ एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं बच्चों की परवरिश और उनकी मनोहारी दुनिया में संतुष्टि के लिए। ये कहानियाँ रात के समय बच्चों को सुलाने के लिए सुनाई जाती हैं और उनके सपनों में चमत्कारिक रूप से जीवित हो जाती हैं।
Ek Garib Kisan Ki Kahani | एक गरीब किसान की कहानी
एक गांव में एक अमीर जमींदार रहता था। उसे अपने पैसों पर बड़ा घमंड था। जितने अधिक पैसे उसके पास थे, उतना ही वह कंजूस भी था। अपने खेतों में काम करने वाले किसानों से वह खूब काम करवाता, मगर पगार कौड़ी भर भी न देता। मजबूर गरीब किसान मन मारकर उसके खेत में काम करते।
उसी गांव में रामू नामक एक किसान रहता था। उसके पास थोड़ी सी जमीन थी। उसी में खेती-बाड़ी कर वह अपना और अपने परिवार का गुजारा चलाता था। रामू बड़ा मेहनती था। वह दिन भर अपने खेत में काम करता और अपनी मेहनत के दम पर इतनी फसल प्राप्त कर लेता कि अपने परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटा सके।
गांव के बाकी किसानों के पास रामू के मुकाबले अधिक जमीनें थीं। वे रामू की मेहनत देखकर हैरान होते कि कैसे इतनी सी जमीन में वह इतनी फसल उगा लेता है।
एक साल गांव में भयंकर सूखा पड़ा। बिना बारिश के खेत खलिहान सूखने लगे। गरीब किसानों के पास सिंचाई की कोई व्यवस्था न थी। वे सिंचाई के लिए बारिश पर ही निर्भर थे। इसलिए उनकी सारी फसल बर्बाद हो गई। रामू के साथ भी यही हुआ। अपने छोटे से खेत में वह किसी तरह अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा था। अब उनके सामने भूखों मरने की नौबत आ गई। मजबूरी के कारण वह गांव के जमींदार के पास कर्ज मांगने गया।
जमींदार कंजूस तो था। उसने सोचा कि यदि उसने रामू को पैसे दिए, तो यह लौटा तो पाएगा नहीं। इसलिए इसे अपने खेत में काम पर लगा लेता हूं। मेहनती तो ये है ही, और मजबूर भी। कम पैसों में दुगुनी मेहनत करवाऊंगा।
उसने रामू से कहा, “देख रामू! मैं तुझे कर्ज तो दे नहीं सकता, लेकिन तेरी इतनी मदद कर सकता हूं कि तुझे अपने खेत में काम पर रख लूं। तुझे महीने के हजार रुपए दे दिया करूंगा।”
“पर मालिक दूसरे किसान तो दो हजार पाते हैं।” रामू बोला।
“करना है तो कर। वरना मेरे पास किसानों की कमी नहीं।” जमींदार बोला।
मजबूर रामू क्या करता? हामी भरकर घर लौट आया। अगले दिन से जमीदार के खेत में काम करने लगा। मेहनती तो वह था ही। वह खूब मेहनत और लगन से काम करता। उसने चार महिने का काम दो महीने में ही कर दिया। यह देख जमींदार बहुत खुश हुआ। लेकिन इसके मन में मक्कारी जाग उठी। उसने सोचा कि चार महीने का काम तो इसने दो ही महीने में कर दिया। क्यों न इसे निकाल दूं। इससे मेरे दो महीने के पैसे बच जायेंगे।
उसने रामू को बुलाया और उसके दो महीने के पैसे देकर कहा, “रामू यह ले तेरे पैसे। कल से मत आना। अब मुझे तेरी जरूरत नहीं।”
ये सुनकर रामू परेशान हो गया। बड़ी मुश्किल से उसका घर चल रहा था। अब अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करेगा? वह जमींदार के सामने गिड़गिड़ाने लगा कि उसे काम से न निकाले। लेकिन जमीदार ने उसकी एक न सुनी और उसे काम से निकाल दिया।
रामू आंखों में आंसू लेकर घर लौटा। चिंता से रात भर उसे नींद नहीं आई। सुबह उठकर उसने फैसला किया कि वह फिर से जमींदार के पास जायेगा और उससे विनती करेगा कि उसे वापस काम पर रख ले।
वह जमींदार के घर के सामने जाकर बैठ गया। सुबह उठकर जाट जमीदार अपने घर से बाहर निकला, तो रामू को घर के सामने बैठा हुआ देखा।
उसने रामू से पूछा, “क्या हुआ रामू, क्यों आया है?”
रामू जमीदार की पैरों पर गिर पड़ा और गिड़गिड़ाते हुए बोला, “मुझ पर दया कीजिए मालिक। मुझे काम पर रख लीजिए। मेरा परिवार भूखा मर जाएगा।”
जमीदार ने उसकी एक न सुनी और उसे धक्के मार के वहां से निकाल दिया। रामू उस समय तो वहां से चला गया, लेकिन अगली सुबह फिर सेठ के घर के सामने जाकर बैठ गया। जमींदार ने उसे फिर बुरा भला कह कर भगा दिया।
अब से रोज यही क्रम चलने लगा। रामू रोज जमींदार के घर के सामने जाकर बैठ जाता और जमींदार उसे भगा देता। पूरे गांव में इस बात की चर्चा होने लगी। सब जमींदार को भला बुरा कहने लगे। तंग आकर जमींदार ने सोचा कि क्यों ना कुछ दिन परिवार सहित दूसरे गांव चला जाऊं। मुझे घर पर ना देख कर रामू यहां आना बंद कर देगा।
अगले दिन वह परिवार सहित दूसरे गांव अपने रिश्तेदार के घर चला गया। दस पंद्रह दिन रिश्तेदार के घर रहने के बाद जब वह अपने घर लौटा, तो मोहन को अपने घर के सामने बैठा नहीं पाया। वह मन ही मन खुश हुआ कि चलो उससे पीछा छूटा। लेकिन वह चकित भी हुआ कि आखिर रामू ने आना बंद क्यों कर दिया।
उसने गांव वालों को बुलाकर पूछा, तो पता चला कि रामू घायल है और अपने घर पर पड़ा हुआ है।
जमींदार ने पूछा, “क्या हुआ उसे?”
एक जमींदार ने कहा, “मालिक! आज जब दूसरे गांव चले गए थे, तब भी रामू आपके घर के सामने बैठा रहता था। एक दिन आपका खाली घर देखकर कुछ चोर चोरी करने के इरादे से आपके घर में घुसे। लेकिन वे रामू की नजर में आ गेम रामू अपनी जान की परवाह न कर उनसे उलझ गया और उन्हें भगा दिया। उनके बीच हुई हाथ पाई के कारण रामू घायल हो गया।”
ये जानकर जमींदार को खुद पर शर्म आने लगी कि उसने रामू के साथ कितना बुरा किया लेकिन इसके बाद भी रामू उसके घर चोरी होने से बचाने के लिए चोरों से उलझ गया। वह पछताने लगा। उसने रामू के घर जाने का फैसला किया।
वह रामू के घर पहुंचा, तो देखा कि रामू बड़ी दयनीय अवस्था में चारपाई पर पड़ा हुआ है। उसके बच्चे भूख से बिलख रहे हैं। ये देख जमींदार का दिल भर आया। उसने रामू से अपने किए की माफी मांगी। उसका इलाज करवाया। और ठीक होने के बाद अच्छी पगार के साथ उसे फिर से काम पर रख लिया।
सीख: कभी किसी के साथ बेईमानी नहीं करनी चाहिए।, सदा जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए।, अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए।
किसान के आवारा बेटे की कहानी | Kisan Ki Kahani
बहुत पुरानी बात है एक गांव में 3 भाई रहते थे उनके पिताजी किसान किसान का काम किया करते। पहले भाई का नाम सोनू दूसरे भाई नाम मोनू और तीसरे भाई का नाम बोलो था। उनके पिताजी एक बहुत बड़े किसान थे शादी सर उन्होंने बहुत सारे धन इकट्ठा कर लिया था की कृषि की कमाई से है।
सोनू मोनू और गोलू तीनों के पिता जी इतने जाते हैं अमीर होने के कारण उन दोनों को किसी भी काम में मन नहीं लगता था। वह हमेशा से ही शुरुआत से ही अपने दोस्तों के साथ घूमना फिरना हो पार्टी करना ही पसंद आता था। देख कर उस किसान को बहुत ज्यादा बुरा लगता था कि उनके पिता बूढ़े हो चुके थे लेकिन उसके बावजूद वह अपने खेतों में अपने नौकरों के साथ काम कर करके इतना सारा धन इकट्ठा करके अपने बेटों के लिए छोड़ दिया था।
सोनू मोनू और गोलू उसके पिताजी को हमेशा से ही यह बात समझ में नहीं आ रहा था कि उनके जाने के बाद उनका बेटा लोग किस प्रकार से खेती का कार्य संभालेंगे। क्योंकि ज्यादा अमीर होने के कारण उनके हैं तीनों बेटे कभी घर में देखते ही नहीं थे हमेशा से ही अपने पार्टी कथा दोस्तों के साथ इधर-उधर फालतू में दिल्ली मुंबई टूर और ट्रेवल्स पर छाया करते थे।
उनके पिताजी के पास एक नौकर काम करता था जिसका नाम मोहन था। 1 दिन की बात है उनके पिताजी मोहन से कहता है कि मैं अपने बेटों को कैसे समझा सकता हूं। क्योंकि इतना कहने के बावजूद भी हमारी तीनों बैठे हैं इतना कामयाब हो इतनी ज्यादा कामचोर है कि घर का किसी काम में हाथ नहीं पता था लेकिन इधर उधर घूमते फिरता है।
तभी मोहन कहता है कि हमारे लिए एक फायदे की बात तो कीजिए हमें अपने तीनों बेटे को यह समझाना होगा कि उनकी आने वाली जिंदगी में क्या चीज काम आने वाली है और क्या तेरा में काम नहीं आने वाली है। वह बुड्ढे आदमी अपने बेटे को जितना समझाता था उतना ही उनके बेटे लोग सोनू मोनू और गोलू बहुत ज्यादा बेपरवाह खोया था।
एक दिन वह किसान अपने तीनों बेटे को सोनू मोनू और गोलू को घर बुलाता है और कहता है कि तुम तीनों इतने बेपरवाह क्यों हो तुम सभी को हमारे साथ काम करना चाहिए ताकि हमारे पास और भ दाना सके। क्योंकि तीनों बेटा रहता है कि आपने तो इतना पैसा कमा लिया है कि हम लोग अब सारी जिंदगी बैठ कर खा सकते हैं फिर हमें काम करने की क्या जरूरत है। तुम्हें बुड्ढे के साथ कहता है कि हां हम लोगों के पास बहुत ज्यादा धन है लेकिन धन हमेशा एक जैसा बना नहीं रहता है हमेशा उसे बढ़ाने के बारे में सोचना पड़ता है अन्यथा धीरे-धीरे सारा चीज खत्म होकर हम फिर वहीं जहां पहले थे वहीं पर आ जाएंगे।
एक दिन जब उनके तीनों बेटे कहीं टूर ट्रैवल पर जा रहे थे तो उनके पिताजी ने कहा है कि अगर जिन्हें जिन्हें लगता है कि उनके पिताजी सही काम कर रहे हैं और वह उनका साथ देना चाहते हैं तो कल से काम पर आ जाना नहीं तो बहुत बुरा हो जाएगा। यह सुनकर भी उन्हें तीनों बैठे हैं टूर और ट्रेवल्स पर जाने से नहीं रुकती हैं। रास्ते में सबसे छोटी बेटा हूं गोलू कहता है कि मुझे पिताजी का काम आना चाहिए। आखिरकार हमारे पिताजी ने हमें लोगों के लिए ही इतने सारे पैसे इकट्ठा की है।
गुरु कहता है कि मैं तो जा रहा हूं अपनी पिताजी के पास और उनके साथ काम करूंगा हरा हो तभी दोनों भाई सोनू और मोनू कहते हैं कि तुम पागल हो गए हो क्या। आज तुम यह सब क्या बातें कर रहे हो चलो हम लोग घूमने जा रहे थे घूमने जाएंगे। तभी गोलू कहता है कि ठीक है भाई आप दोनों चाहिए मैं जा रहा हूं पापा के पास। जैसे गोलू अपने खेत पर पहुंचता है तू दिखता है कि उनके नौकर मोहन और उनके पिताजी एक खेत में काम कर रहे थे।
जब उनके के पिताजी गोलू खेत की तरफ आधे देखता है तो पूछता है कि तुम अकेले ही आ रहे हो बाकी दोनों कहां गए। तभी गोलू कहता है कि वे लोग घूमने गए हैं लेकिन मैं उसके साथ से छोड़कर यहां आ गया हूं क्योंकि मैं अब जान गया हूं कि मेहनत कितनी बड़ी चीज है और बिना मेहनत के धन कैसे मिलेगा। तभी उनके पिताजी बहुत खुश होते हैं और कहते हैं कि चलो दो बेटे ने रही है बेटा तो समझ गया है कि उन्हें उनके पिताजी का साथ देना चाहिए है।
तीनों मिलकर खेत में काम करने लगे थे तो भी गोलू के पिताजी मोहन से कहता है कि और गोलू से कहता है कि उन दोनों को समझाने का कोई तरीका बताओ नहीं तुम मेरे जाने के बाद वे लोग ऐसे ही इधर-उधर भटकते रहेंगे किसी भी प्रकार का कोई कहानी नहीं करेगा। और घूमते फिरते ही पूरी जिंदगी अपनी बर्बाद कर लेगा और मेरा सारा दान और पैसा भी बर्बाद क्या देगा। तो वही मोहन कहना है कि आप उन दोनों को सबक सिखाने के लिए अपने हिस्से का बंटवारा कर कर एक हिस्से अपने गोलू बेटे को दे दीजिए एक किस से अपनी किसी और को दे दीजिए सिर्फ बताने के लिए ताकि उन लोग को पता चल जाए कि उनका हिस्सा नींद नहीं मिलने वाला है।
अगले दिन उनका दोनों बेटा सोनू और मोनू घूम कर आता है तो उनके पिताजी उसके पास बैठ जाए रहता है कि तुम लोग तो हमेशा घूमते ही रहोगे। इसलिए मैंने यह फैसला लिया है कि हमारी जितनी भी दान दोनों जमीन जायदाद है मैंने इसे दो हिस्सों में बांटकर एक-एक हिस्सा गोलू को दे दिया है और एक हिस्सा नौकरा मोहन को दे दिया है। यह सुनकर सोनू और मोनू का दिमाग चकरा जाता है और कहता है कि इतना ज्यादा धन आपने एक नौकर को दे दिया है और अपनी एक बेटे को ही दिया है बाकी बेटे को ऐसे ही रहने दिया है।
तभी उनके पिताजी कहते हैं कि हमें यह फैसला मजबूरी भी लेना पड़ेगी अगर तुम लोग इसी तरह से घूमते रहोगे तो मेरा सारा धन दौलत और पैसा को कुछ नहीं समझेगा और सारा पैसा को अपनी घूमने फिरने के लिए खर्च कर देगा रहा हूं इसीलिए बेहतर होगा कि तुम लोग जहां-जहां घूमते हो अपने अपने पैसे से घूमा करो मेरी धन दौलत मेरे जायदाद से तुम लोगों का कोई वास्ता नहीं है।
यह सुनकर दोनों भाई का दिमाग खराब हो गया और उन्होंने कहा कि ठीक है हम दोनों भी आपके साथ ही काम करेंगे और गोलू के साथ भी है। फिर अगले दिन से वे सभी तीनो भाई एक साथ अपने खेतों या या काम किया जाता है वही पहुंचता है और तीनों मिलकर काम करने लगते हैं। धीरे-धीरे काम करते करते उन्हें पैसों का महत्व के बारे में पता चल जाता है। और अब तो उन्हें यह भी जानकारी हो जाती है कि पैसा कितनी मेहनत करने के बाद कमाया जाता है और हम लोग कितनी जल्दी उन पैसों को बर्बाद कर देते हैं बिना कुछ सोचे समझे।
सोनू मोनू और गोलू तीनों मिलकर काम करने लगे थे यार सब मिलकर इतनी जाने बहन की प्राप्ति कर लेते हैं कि उन्हें और भी ज्यादा धन प्राप्त हो जाता है। लेकिन एक दिन वह अपने नौकर मोहन को इनाम दे रहा था कि इतने में उनके बेटे वहां पहुंच गए थे। तभी उनके पिताजी कहता है कि मैं इसे नाम दे रहा हूं क्योंकि इसी नौकर मोहन के आइडिया के कारण ही हम तुम लोगों को बदलने में कामयाब हो पाए हैं।
उनके पिताजी कहते हैं कि मैंने किसी भी जमीन का मूवी बंटवारा नहीं किया है और मैंने अपनी जमीन को कभी किसी को बिना तुम्हारी मर्जी से कैसे दे सकता हूं। यह तो तुम लोगों को समझाने का एक आइडिया था जिसे मोहन ने बताया था। आज के बाद मोहन भी हमारे परिवार का सदस्य रहेगा और मोहन के परिवार के लिए जितना भी खर्चा होगा उसके लिए हम लोग व्यवस्था करेंगे। तभी उनके तीनों बेटे कहते हैं कि ठीक है हम लोगों के साथ में ही रहेंगे अपने परिवार का सदस्य ही मानेंगे मोहन को।
क्योंकि हम तीनों में से हैं पैसों के महत्व के बारे में समझ गए थे और वे लोग अब आलतू फालतू के काम नहीं किया करते थे। सभी लोग मिलकर अपने खेर अथवा अपने फैक्ट्री में कार्य किया करता था ताकि उनका धन और भी ज्यादा हो सके। आगे से भी लोग हमेशा से ही एक साथ काम किया करते थे और हमेशा से ही एक ही परिवार में रहते थे।
सीख: किसान की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने परिवार का हमेशा ख्याल रहना चाहिए। साथ ही साथ हमें अपने अभिभावक का इतना ज्यादा पैसा बर्बाद नहीं करना चाहिए ताकि उन्हें बुरा लग जाए और आने वाले पैसों के बारे में सोच सोच कर अब सोच लगे हैं। क्योंकि इस दुनिया में पैसा बहुत ही ज्यादा अनमोल चीज है इन्हें बचा कर रखना ही सही होता है।
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